अच्छी भरपूर नींद हर किसी को प्यारी होती है, हर किसी के जीवन का सुकून अच्छी नींद पर ही
टिका हुआ है। नींद पूरी न हो रही हो तो कोई भी चीज़ अच्छी नहीं लगती, मन चिड़चिड़ा सा हो जाता है।
कमोबेश हर घर-परिवार में महिलाएं पुरुषों की तुलना में कम देर सोती हैं। उन्हें सुबह जल्दी उठना होता
है और देर रात तक काम भी निपटाने होते हैं, जबकि उन्हें नींद की जरूरत ज्यादा होती है। पुरुषों के
तुलना में कम सोने के कारण प्रभावित होता है उनका दिनचर्या और उनका स्वास्थ्य भी।
इस वर्ष पूरी दुनिया में 16वां विश्व नींद दिवस(world Sleep Day) शुक्रवार 17 मार्च को ”नींद,स्वस्थ्य के लिए
आवश्यक“ स्लोगन के साथ मनाया जा रहा है। जो स्वस्थ्य जीवन में नींद के महत्व और नींद से समझौता
ना करने की सलाह दे रहा है।
आधुनिक जीवन शैली में हर किसी के जीवन में जैसे-जैसे नींद की कमी बढ़ रही है, जीवन से रस-उमंग कम
होते जा रहे हैं। मेहनत से अर्जित किया हुआ सारे साधन और सुविधाएं सब बेमानी लगने लगती हैं, जब
अच्छी भरपूर नींद नहीं मिलती है। परीक्षाओं में अव्वल नम्बरों के लिए विद्यार्थी, अधिक पैसे कमाने और
पद के लालसा में युवा, घर-परिवार के सुख-समृद्धि के लिए चिंतित वृद्ध और घर या दफ्तर में काम करने
वाली महिलाएं, कमोबेश हर घर-परिवार के हर सदस्य कई तरह के चिताओं में अपने सोने के समय के
साथ समझौता कर रहे है।
क्यों है, महिलाओं को ज्यादा नींद की जरूरत…
अक्सर हम ध्यान नहीं देते है, हर घर-परिवार में महिलाएं मल्टीटास्कर होती है। एक वक्त में कई सारी
चींजे वह करती है और हर स्थिति के अनुरूप खुद को ढाल भी लेती हैं। वह खाली भी बैठी होती है तो
पुरुषों के अपेक्षा अपना दिमाग ज्यादा इस्तेमाल करती है। कोई भी इंसान चाहे वह महिलाएं हो या पुरुष
अगर वह अपने दिमाग का ज्यादा इस्तेमाल कर रहे है या पेचीदा कार्यों में दिमाग का इस्तेमाल कर रहे है,
तब दिमाग को समुचित आराम चाहिए होता है। जो एक अच्छी भरपूर नींद से ही पूरी होती है क्योंकि
नींद की जरूरत मानसिक ऊर्जा खर्च करने पर निर्भर होता है और शारीरिक ऊर्जा खर्च करने पर भी। मन
के साथ अगर शरीर भी थक गया हो तो अच्छी भरपूर नींद बहुत जरूरी है।
समान्य महिलाएं पुरुषों के मुकाबले अधिक काम कर रही होती है, इसलिए महिलाओं को ज्यादा नींद की
जरुरत होती है।
बहुत फर्क पड़ता है, कम नींद से ….
कम सोने से, सुबह उठते ही तरोताजा महसूस करने के बजाय अक्सर गले और मुंह में सूखापन, सिरदर्द,
शारीरिक थकान और कमजोरी के साथ सुबह की शुरुआत होती है। शरीर का प्रतिरक्षा तंत्र आराम नहीं
मिलने के कारण कमजोर होने लगता है जिससे वायरल और बैक्टीरियल संक्रमण की आशंका बढ़ जाती हैं।
अच्छी नींद नहीं होने के कारण शरीर के शेल्स को मरम्मत(रीबुट) होने का पूरा समय नहीं मिलता और
हांर्मोन का संतुलन बिगड़ने लगता है। आंखों के नीचे काले घेरे, चेहरे और आंखों में सूजन और लालिमा सब
अधूरी नींद की निशानी के तरह चेहरे पर दिखने लगते है। अधूरी नींद के कारण आंतों से निकलने वाली
वसा का बहाव भी कम हो जाता है जिससे खाना खाने के बाद भी मन तृप्त नहीं होता है।
मन के थकान को कम करने के लिए चाय-कांफी के आदि होने लगते है जिससे नींद और कम होती है और एक जांल में फंसतेचले जाते है। इसलिए यह कहना कि कम नींद लेने से फर्क नहीं पड़ता सही नहीं है।
किसको कितनी नींद की जरूरत
उम्र के अनुसार, नींद की आवश्यकता अलग-अलग होती है मसलन 3 से 5 तक के उम्र में दस से चौदह घंटे,
6 से 12 तक के उम्र में 9 से 12 घंटे, 13 से 18 के उम्र में 8 से 10 घंटे और 18 से 60 के उम्र में 7 और
अधिक घंटे नींद जरूरी होती है। बच्चों को अधिक नींद की जरूरत समुचित शरीर के विकास के लिए जरूरी
होता है। तो एक उम्र के बाद अच्छी नींद की आवश्यता मशीनरुपी शरीर को समुचित आराम के लिए
जरूरी होता है। नींद की जरूरत में अंतर बायलोजिकल फैक्टर्स के वज़ह से भी पड़ता है। जो जितना अधिक
मानसिक और शारीरिक ऊर्जा खर्च करता है,अच्छी नींद दिमाग को रिकवर और अपने आप को मरम्मत
करने का समय देता है। गहरी नींद के दौरान दिमाग का संपर्क संवेदनाओं से कट जाता है और मरम्मत के
मोड़ में चला जाता है। संपर्क ही विचार, याददाश्त, भाषा और कई चीजों के लिए जिम्मेदार होता है।
बाक्स के आइटम
नींद के गुणवता में सुधार के लिए डाक्टर 10-3-2-1-0 नियम की सलाह देते है जो है सोने के दस घंटे
पहले कैफिन से दूर रहे, सोने के तीन घंटे पहले घर या दफ्तर का काम खत्म कर ले, दो घंटे पहले खाना खा
ले, एक घंटे पहले किसी भी इलेक्ट्रानिक स्क्रीन से दूर रहे और सोते समय कमरे में शांति-अंधेरा रखे।