शंकरन नायर

वो वकील जिन्होंने अंग्रेज़ों को कोर्ट में दी थी चुनौती

शंकरन नायर ने ब्रिटेन जाकर ब्रितानी अदालत में अपने दम पर जलियाँवाला हत्याकांड को लेकर एक ऐतिहासिक केस लड़ा था जो साढ़े पाँच हफ़्ते चला।

अक्षय कुमार की नई फ़िल्म केसरी -2  सर चेट्टूर शंकरन नायर पर आधारित है.

पेशे से वकील नायर 1897 में इंडियन नेशनल कांग्रेस के अध्यक्ष बने. वे मद्रास हाई कोर्ट में जज भी रहे और 1915 में वायसराय एग्ज़ीक्यूटिव काउंसिल के सदस्य बने. उन्हें सर की उपाधि मिली हुई थी.

शंकरन नायर ने 1922 में किताब लिखी 'गांधी एंड अनार्की' जिसमें उन्होंने गांधीजी की नीतियों से अहसमति जताई और साथ ही पंजाब के हालात के लिए ब्रितानी सरकार की आलोचना की. 

शंकरन नायर पर ब्रिटेन में 1922 में मानहानि का मुक़दमा कर दिया कि वो माफ़ी माँगें, किताब को वापस लें और जुर्माना भरें, लेकिन शंकरन नायर ने इससे साफ़ इनकार कर दिया.

जब केस चला तो साढ़े पाँच हफ़्ते चले इस मुकदमे में जैसे-जैसे परतें खुलती गईं, दुनिया को जलियाँवाला बाग़ और पंजाब में हुई ज़्यादतियों के बारे में खुलकर पता चला.

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शंकर नायर के हार के बावजूद अंग्रेज़ों के ख़िलाफ़ आज़ादी की लड़ाई में उस केस को अहम माना जाता है. 

गांधी जी ने 12 जून 1924 को यंग इंडिया में लिखा था- सर शंकरन नायर ने ब्रितानी संविधान और जनता को ट्रायल पर रख दिया था. इस हार में भी सर शंकरन नायर के साथ सारे भारतीयों की हमदर्दी है. मैं उनकी हिम्मत की दाद देता हूँ."