अय्याना माने रिव्यू: रहस्य, थ्रिलर और अंधविश्वास का जबरदस्त मेल!

“जो जैसा बोता है, वैसा ही काटता है। गुनाहगार को सजा मिलनी ही चाहिए। किसी इंसान की मौत बाहरी डर से नहीं, बल्कि अंदर के डर से होती है। गलती करना गलत है, लेकिन गलती से बाहर निकलना मुश्किल होता है। डर और चाहत इंसान को रूला भी सकती है और बर्बाद भी।”
ज़ी5 पर रिलीज़ हुई कन्नड़ सीरीज ‘अय्याना माने’ इन्हीं भावनाओं के इर्द-गिर्द घूमती है। अलौकिक शक्तियों के इर्द-गिर्द बुनी गई इस मर्डर मिस्ट्री थ्रिलर की कहानी दर्शकों को बांधे रखती है।
ऋषभ शेट्टी की ‘कंटारा’ की अपार सफलता के बाद, ‘अय्याना माने’ भी एक दिलचस्प रहस्य थ्रिलर है, जो कोंडाराय (धैव) के गुस्से पर आधारित है। जहां इसकी कहानी ‘कंटारा’ से अलग है, वहीं यह दर्शकों को एक नए सफर पर ले जाती है — जिसमें साजिश, थ्रिलर और सस्पेंस सभी कुछ शामिल है। एक सवाल भी कहानी के साथ-साथ दर्शकों के मन में चलता है:
“क्या धैव दंड देने वाला है या रक्षक?”
यह कहानी समाज को एक महत्वपूर्ण संदेश भी देती है: अपने आसपास के लोगों के मानसिक स्वास्थ्य पर ध्यान दें।
कहानी क्या है ‘अय्याना माने’ की?

नवविवाहिता जाजी अपने ससुराल कदम रखती है, जहां पहुंचते ही उसके ससुर का निधन हो जाता है। धीरे-धीरे उसे घर के कई रहस्यों का पता चलता है। सबसे बड़ा रहस्य यह है कि इस घर की तीन बहुएं पहले ही मर चुकी हैं। माना जाता है कि यहां के देवता कोंडय्या बेहद गुस्से वाले हैं।
जाजी का शक कभी अपने पति पर, कभी उसके भाई पर, तो कभी घर में काम करने वाली नौकरानी पर जाता है। जाजी, नौकरानी के साथ मिलकर पुलिस की मदद लेती है और इन रहस्यमयी मौतों की गुत्थी सुलझाने में जुट जाती है।
पूरी कहानी मानसिक तनाव और अंधविश्वास के इर्द-गिर्द घूमती है। क्या वाकई घर के देवता नाराज हैं या पीछे कोई और रहस्य है? क्या कुलदेवता बलि मांग रहे हैं? क्या दुष्यंत की बहन और अन्य बहुएं किसी श्राप के शिकार हैं?
इन सवालों के जवाब जानने के लिए आपको ‘अय्याना माने’ देखनी होगी, जो हिंदी में ज़ी5 पर उपलब्ध है।
क्यों देखें ‘अय्याना माने’?
हर दृश्य में आप नए अनुमान लगाएंगे, लेकिन हर बार आपकी उम्मीदें गलत साबित होंगी। ट्विस्ट और टर्न इतने गहरे हैं कि आप कहानी से जुड़ाव महसूस करेंगे और बिना रुके आगे देखना चाहेंगे। जैसे-जैसे कहानी आगे बढ़ती है, मोड़ और उद्देश्यों का पूर्वानुमान कठिन होता जाता है, जो एक रोमांचकारी अनुभव बनाता है।
इस सीरीज का अभिनय इसका एक प्रमुख आकर्षण है। यथार्थवादी और नाटकीय अभिनय का बेहतरीन मिश्रण देखने को मिलता है। जाजी की भूमिका निभा रही ख़ुशी रवि ने एक मासूम और जुझारू युवती का किरदार शानदार तरीके से निभाया है।
सिनेमेटोग्राफर राहुल रॉय ने कम रोशनी और अनूठे कैमरा एंगल्स के माध्यम से एक रहस्यमयी माहौल रचा है। मानसी सुधीर, अक्षय नायक समेत सभी कलाकारों का अभिनय भी संतोषजनक है। निर्देशक रमेश इंदिरा और निर्माता श्रुति नायडू ने सीरीज को एक अच्छा बेंचमार्क दिया है।


किसी भी व्यक्ति का परिचय शब्दों में ढले, समय के साथ संघर्षों से तपे-तपाये विचार ही दे देते है, जो उसके लिखने से ही अभिव्यक्त हो जाते है। सम्मान से जियो और लोगों को सम्मान के साथ जीने दो, स्वतंत्रता, समानता और बधुत्व, मानवता का सबसे बड़ा और जहीन धर्म है, मुझे पूरी उम्मीद है कि मैं अपने वर्तमान और भविष्य में भी इन चंद उसूलों के जीवन जी सकूंगा और मानवता के इस धर्म से कभी मुंह नहीं मोड़ पाऊगा।