पिंकवॉशिंग महिला सशक्तिकरण के नाम पर प्रचार और मुनाफा कमाने की रणनीति।

गुलाबी पैकिंग और सशक्त नारों के पीछे छिपा है बाजार का खेल।

महिला दिवस पर कंपनियों के ऑफर, लेकिन क्या बदलाव ज़मीनी है?

जहाँ ‘सशक्तिकरण’ बेचने वाले ब्रांड खुद महिला कर्मचारियों का शोषण करते हैं।

मीडिया की 'आदर्श महिला' छवि असली संघर्षों को ढँक देती है।

वंचित समुदायों की महिलाएं मुख्यधारा की ‘सशक्तिकरण कथा’ से बाहर।

केवल प्रतीकों और पोस्टरों से नहीं आता सशक्तिकरण।

महिलाओं की भागीदारी, अधिकार और निर्णय क्षमता को बढ़ावा देना।

सशक्तिकरण को बाज़ार से नहीं, समाज की जड़ों से जोड़े।