“अकेली स्त्री: समाज की सोच बनाम स्त्री की स्वतंत्रता”
हमारे समाज में आज भी अकेली स्त्री का अस्तित्व ‘अप्राकृतिक’ माना जाता है। ऐसी स्त्री, जो विवाह संस्था से अलग रहकर अपनी स्वतंत्र पहचान के साथ जीवन जीना चाहती है, समाज की दृष्टि में संदेहास्पद बन जाती है। यह अकेली स्त्री अविवाहित, तलाकशुदा या विधवा कोई भी हो सकती है। उसके अपने घर की कल्पना … Continue reading “अकेली स्त्री: समाज की सोच बनाम स्त्री की स्वतंत्रता”
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