Pratyush Prashant

किसी भी व्यक्ति का परिचय शब्दों में ढले, समय के साथ संघर्षों से तपे-तपाये विचार ही दे देते है, जो उसके लिखने से ही अभिव्यक्त हो जाते है। सम्मान से जियो और लोगों को सम्मान के साथ जीने दो, स्वतंत्रता, समानता और बधुत्व, मानवता का सबसे बड़ा और जहीन धर्म है, मुझे पूरी उम्मीद है कि मैं अपने वर्तमान और भविष्य में भी इन चंद उसूलों के जीवन जी सकूंगा और मानवता के इस धर्म से कभी मुंह नहीं मोड़ पाऊगा।
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“सशक्तिकरण वहीं संभव है, जहां घरेलू श्रम को सम्मान मिले।” महिलाओं का विज्ञान में योगदान अद्वितीय है, लेकिन नोबेल पुरस्कारों में वह न के बराबर हैं। मैरी वोलस्टोनक्राफ्ट: महिला अधिकारों और शिक्षा की पैरोकार ‘सुपर वुमन’ एक सामाजिक निर्माण है, हकीकत नहीं। हज़रत महल: गुलामी से राजमहल तक का सफर