धार्मिक पर्व, सांस्कृतिक आदर्श और महिलाओं का अदृश्य श्रम

भारत में धार्मिक पर्व केवल आध्यात्मिक आस्था और उत्सव के अवसर नहीं हैं, बल्कि वे समाज के सामूहिक संस्कार और मूल्यों को आकार देने वाले सांस्कृतिक आयोजन हैं। दशहरा, दीपावली, होली, ईद, गुरुपर्व, क्रिसमस—हर त्योहार के साथ कोई न कोई सामाजिक संदेश जुड़ा होता है। ये पर्व सामूहिकता, करुणा, सहयोग, स्वच्छता, सत्य की विजय, और … Continue reading धार्मिक पर्व, सांस्कृतिक आदर्श और महिलाओं का अदृश्य श्रम