गांव की महिलाएं, शहर की उम्मीदें: माइग्रेशन और अकेलापन
भारत का गांव अब भी अपनी जड़ों में जिंदा है, पर उसकी आत्मा धीरे-धीरे शहरों की ओर खिसकती जा रही है। खेत अब भी वहीं हैं, कुएं-तालाब, चौपाल और मंदिर भी वहीं हैं, लेकिन जो नहीं हैं, वे हैं गांव के वे पुरुष, जो शहर चले गए हैं— काम की तलाश में, जीवन की बेहतर … Continue reading गांव की महिलाएं, शहर की उम्मीदें: माइग्रेशन और अकेलापन
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