जेंडर न्यूट्रल शब्द, लैंगिक समानता की नई परिभाषा

क्रिकेट में नियम निर्धारित करने वाली संस्था मेरिलबोन क्रिकेट क्लब(MMC) ने इस खेल में लैंगिक समानता को बढ़ावा देने की वकालत करते हुए इससे जुड़ी कुछ शब्दावली में बदलाव किया है। अब बैट्समैन या बैटबुमम की जगह पर जेंडर न्यूटल शब्द बैटर का इस्तेमाल होने लगा है। पिछले काफी समय से सोशल मीडिया सहित विभिन्न प्लेटफार्म पर जेंडर न्यूटल शब्दों के उपयोग को लेकर लगातार मांगे उठ रही हैं।
बचपन में जब हम कोई किताब पढ़ते थे, तो उसमें हमेशा राम / श्याम / मोहन/सोहन ही फुटबॉल खेलते थे, जबकि सीता/सुनीता//मनोरमा गुड़िया से खेलती थी। वक्त के साथ ऐसे उदाहरणों को लिंग भेद के रूप में देखा जाने लगा। आवाजें उठने लगीं कि हमेशा लड़के ही फुटबॉल क्यूं खेलेंगे और लड़कियां गुड़िया से ही क्यूं खेलेंगी?
तब इस मांग के अनुरूप कुछ लेखकों ने इस परंपरागत ढर्रे से इतर एक नयी परिभाषा के साथ तथ्यों को प्रस्तुत करना शुरू किया, जहां राम/श्याम/मोहन / सोहन भी गुड़िया से खेलने लगे और सीता/सुनीता/रमा/मनोरमा फुटबॉल खेलने लगीं।
ऐसे उदाहरणों को लैंगिक समानता की दिशा में एक बड़ा क्रांतिकारी कदम माना गया, लेकिन इनमें भी एक कमी रह गयी। ऐसे उदाहरण हमारे समाज के उस वर्ग का प्रतिनिधित्व नहीं कर पाते, जिन्हें हम ‘तृतीय पंथ’ कहते हैं।
समावेशी विकास के लिए लैंगिक नजरिये में बदलाव की है जरूरत
वर्ष 2014 में माननीय सुप्रीम कोर्ट ने ट्रांसजेंडर समुदाय को ‘तृतीय पंथ’ का दर्जा देते हुए उन्हें भी समाज का अहम हिस्सा माना। यानी अब किसी भी तरह की सरकारी नीतियों और प्रावधानों को बनाते वक्त ‘तृतीय पंथ’ का भी विशेष तौर से ख्याल रखा जायेगा। इसके साथ ही समाज के बौद्धिक वर्ग द्वारा ‘जेंडरन्यूट्रल’ यानी लैंगिक रूप से तटस्थ शब्दों के उपयोग की भी मांग उठने लगी|
अब जरा आप ही सोचिए, कल को पुलिस में अगर ट्रांसजेंडर्स की नियुक्ति हो जाये, तो उन्हें आप क्या संबोधित करेंगे- पुलिसमैन या पुलिसवुमेन ? कंफ्यूज हो गये न! ऐसे ही कंफ्यूजन को दूर करने के लिए जेंडर न्यूट्रल शब्दों के उपयोग की जरूरत है, ताकि समावेशी विकास ( Inclusive Growth) के लक्ष्य को वास्तविक रूप में प्राप्त किया सके, जिसमें हर वर्ग की समान भागीदारी सुनिश्चित हो सके।
विभिन्न देशों और क्षेत्रों में मिल रही है मान्यता

पिछले दिनों ऑस्ट्रेलिया के मशहूर क्रिकेटर तथा कमेंटेटर शेन वॉर्न ने भी मेलबॉर्न क्रिकेट क्लब के फैसले का समर्थन करते हुए कहा कि “यह एक बढ़िया निर्णय है, जो खेलों में लैंगिक भेदभाव कम करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम साबित होगा।”
इससे पूर्व ब्रिटिश एयरवेज और ब्रिटिश माल्टा ने भी यह निर्णय लिया कि वे अपने पैसेंजर्स को ‘लेडिज एंड जेंटलमैन’ के बजाय ‘गेस्ट’ कह कर संबोधित करेंगे। दूसरी ओर, फ्रांस ने यह कहते हुए अपने यहां के स्कूलों में जेंडुल न्यूट्रल शब्दों के उपयोग को बैन कर दिया है कि इससे फ्रेंच भाषा के शिक्षण को नुकसान होगा।
अब तक जेंडर न्यूट्रल क्लासरूम, जेंडर न्यूट्रल टॉयलेट, जेंडर न्यूट्रल ऑफिस आदि को लेकर मांगें उठ रही थीं. अब धीरे-धीरे जेंडर न्यूट्रल शब्दों को भी सामाजिक स्वीकार्यता मिलने लगी है. अब जरूरत है व्यावहारिक धरातल पर भी हमें उसके उपयोग को बढ़ावा देने की, ताकि समाज के हर वर्ग को उचित सम्मान मिल सके.
जेंडर न्यूटल होने के क्या हैं मायने?
जेंडर न्यूटल (लैंगिक रूप से तटस्थ) वैसे शब्दों को कहते हैं, जिनमें किसी लिंग विशेष रूप का बोध नहीं होता। बदलते समाज में लैंगिक विभेद से प्रभावित इस तरह के शब्दों और विचारों को बदलने और अधिक से अधिक उन्हें अपनाने की जरूरत है।
हम अपने आम जीवन में इसतरह के शब्दों का उपयोग करते भी है। जैसे अभिभावक, चिकित्सक, दोस्त, जीवनसाथी, पुलिस अधिकारी, व्यक्ति आदि। उदाहरण के लिए निम्न कुछ शब्दों के प्रयोग से में जेंडर न्यूटल होने की जरूरत है- चैयरमैन/चैयरवुमेन: चैयरपर्सन, मैनमेड: आर्टिफिशियल, बिजनेसमैन/बिजनेसवुमेन:बिजनेसपर्सन, अभिनेता/अभिनेत्री: कलाकार।

16 वर्षों से लेखन एवं पत्रकारिता के क्षेत्र में सक्रिय. देश की प्रमुख पत्र-पत्रिकाओं में लेखन का अनुभव; लाडली मीडिया अवॉर्ड, NFI फेलोशिप, REACH मीडिया फेलोशिप सहित कई अन्य सम्मान प्राप्त; अरिहंत, रत्ना सागर, पुस्तक महल आदि कई महत्वपूर्ण प्रकाशन संस्थानों सहित आठ वर्षों तक प्रभात खबर अखबार में बतौर सीनियर कॉपी राइटर कार्य अनुभव प्राप्त करने के बाद वर्तमान में फ्रीलांसर कार्यरत.