“मर्दवादी सोच और महिला हिंसा: समाजीकरण की जड़ों में छिपी क्रूरता”
देशभर ही नहीं, दुनियाभर में, घरेलू और सार्वजनिक क्षेत्रों में महिलाओं के खिलाफ हिंसा की घटनाएं सामने आती हैं। इस तथ्य से कोई भी सामान्य समझ वाला व्यक्ति इनकार नहीं कर सकता। जब महिलाओं के खिलाफ जघन्य अपराध मानवीय संवेदनाओं को झकझोरते हैं, तब समाज का एक बड़ा वर्ग कठोर कानूनों की मांग करता है। … Continue reading “मर्दवादी सोच और महिला हिंसा: समाजीकरण की जड़ों में छिपी क्रूरता”
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