तुलसीदास

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डॉ. अंबेडकर: महिला सशक्तिकरण के असली नायक रामदेव रूह अफ़ज़ा Vs रूह अफ़ज़ा – एक दिलचस्प कहानी हर महिला को मिले सम्मानित और सुरक्षित मातृत्व। “सशक्तिकरण वहीं संभव है, जहां घरेलू श्रम को सम्मान मिले।” महिलाओं का विज्ञान में योगदान अद्वितीय है, लेकिन नोबेल पुरस्कारों में वह न के बराबर हैं।