“जनसंख्या की ज़िम्मेदारी भी दी, पर हक़ नहीं!”
हर घर की छत, मुंडेर, या खुले मैदान से आती “वो कांटा!”, “अरे पकड़ो!”, “ढ़ील दे!” जैसी मस्ती भरी आवाज़ें,…
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