एक दौर था जब बाज़ार की कल्पना पुरुष उपभोक्ताओं के इर्द-गिर्द रची जाती थी। विज्ञापनों में पुरुषों की पसंद, आवश्यकताओं…
जब भी महिला सशक्तिकरण की बात होती है, तो उसके साथ उम्मीदों, बदलावों और बराबरी की एक कल्पना जुड़ी होती…
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