"सशक्तिकरण वहीं संभव है,

"सशक्तिकरण वहीं संभव है,

जहां घरेलू श्रम को सम्मान मिले।"

महिलाएं सदियों से बेटी, बहू और मां के रूप में ही पहचानी जाती रही हैं।

अब महिलाएं पारंपरिक भूमिकाओं से निकलकर उद्यमिता की राह पकड़ रही हैं।

सोशल मीडिया पर महिलाएं नए व्यवसायिक मॉडल्स के साथ चर्चा में हैं।

हार्वर्ड स्टडी: वित्तीय अधिकार से महिलाओं की सामाजिक छवि बदल सकती है।

स्टार्टअप की दुनिया अब भी पुरुष प्रधान है

महिलाओं को कई स्तरों पर चुनौतियां झेलनी पड़ती हैं।

निवेशक आज भी महिलाओं को घरेलू जिम्मेदारियों के नजरिए से आंकते हैं।

घरेलू श्रम को श्रम की मान्यता मिलने से सशक्तिकरण संभव है।

महिलाओं को आर्थिक समुद्र में सफल तैराक बनाने के लिए व्यापक सामाजिक बदलाव जरूरी है।