ग़ालिब और सर सैयद: मुस्लिम समाज के पुनर्जागरण की दो धाराएँ
ग़ालिब को केवल शायरी तक सीमित समझना उनकी दृष्टि का अपमान है।
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1857 के बाद सर सैयद ने शिक्षा को मुसलमानों की उन्नति का माध्यम माना।
ग़ालिब और सर सैयद—दो दृष्टिकोण, एक मकसद
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ग़ालिब, सर सैयद को बार-बार आधुनिक विज्ञान पर ध्यान देने के लिए कहते रहे।
ग़ालिब की आलोचना ने सर सैयद को अतीत से वर्तमान की ओर मोड़ा।
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ग़ालिब की चेतावनियों से प्रेरणा लेकर सर सैयद ने आधुनिक संस्थान शुरू किए।
एक ने प्रेरणा दी, दूसरे ने क्रियान्वयन किया।
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ग़ालिब और सर सैयद की बातचीत आज भी शिक्षा और समाज सुधार के लिए प्रेरणा है।