रामदेव रूह अफ़ज़ा Vs रूह अफ़ज़ा – एक दिलचस्प कहानी
रूह अफ़ज़ा की शुरुआत 1907 में हकीम हाफ़िज़ अब्दुल मजीद ने की थी। इसका मकसद गर्मी में शरीर को ठंडक देना था।
रूह अफ़ज़ा हमदर्द दवाख़ाना की सबसे मशहूर और भरोसेमंद यूनानी प्रोडक्ट में से एक बन गया।
सालों से यह ब्रांड भारत, पाकिस्तान और बांग्लादेश में एक ही स्वाद और खुशबू के लिए पहचाना जाता रहा है।
2024 में बाबा रामदेव की पतंजलि कंपनी ने "भारत का रूह अफ़ज़ा" नाम से एक नया शरबत लॉन्च किया।
"रूह अफ़ज़ा" जैसे नाम का उपयोग करने पर हमदर्द ने आपत्ति जताई और कानूनी कार्रवाई की बात कही।
"रूह अफ़ज़ा" जैसे नाम का उपयोग करने पर हमदर्द ने आपत्ति जताई और कानूनी कार्रवाई की बात कही।
पतंजलि ने अपने नए शरबत की पैकेजिंग और मार्केटिंग इस तरह की जैसे यह रूह अफ़ज़ा का देसी वर्जन हो।
ट्विटर और इंस्टाग्राम पर "रूह अफ़ज़ा बनाम भारत का रूह अफ़ज़ा" खूब ट्रेंड हुआ।
हमदर्द का रूह अफ़ज़ा आज भी एक इमोशनल कनेक्शन रखता है — इफ्तार, गर्मी, बचपन की यादें।