बिहार में लिंगानुपात गिरकर 891 पर पहुँचा

1000 बेटों पर सिर्फ 891 बेटियाँ क्यों?

बेटी बचाओ नारा, लेकिन हकीकत शर्मनाक

भ्रूण हत्या आज भी जारी है

दहेज और बेटी को बोझ मानने की सोच

लड़कियाँ गिनती में नहीं, सोच में ग़ायब हैं

लैंगिक असमानता का संकट गहराया

नीतियाँ हैं, पर ज़िम्मेदारी और निगरानी नहीं

अब भी नहीं चेते, तो समाज खो देगा अपनी आधी आबादी