साइकिल से आज़ादी का सपना
– सायरा बानो की साइकिल सिर्फ फिल्मी नहीं, एक प्रतीक बन गई—खुलेपन और आत्मविश्वास का।
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भारतीय समाज साइकिल को लेकर लड़कियों पर चरित्र और मर्यादा का बोझ डालता है।
मुख्यमंत्री बालिका साइकिल योजना ने हज़ारों लड़कियों को स्कूल से जोड़ दिया।
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लड़कियों को साइकिल चलाने से रास्ते की असुरक्षा, सामाजिक छींटाकशी और परिवारिक हिचकियां—सब रफ़्तार रोकते हैं।
महिलाओं को उम्र, मर्यादा और रिश्तों के नाम पर रुकने को मजबूर किया जाता है।
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ट्रैफिक, भीड़ और पुरुषवादी ट्रोलिंग—साइकिल को 'सुरक्षित' नहीं बनने देते।
लड़कियां जब साइकिल चलाती हैं, तो वे कहती हैं—"मैं अपने रास्ते खुद तय करूंगी।"
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अगर बेटियों को बढ़ाना है, तो साइकिल के साथ उनके सपनों को भी गति देनी होगी।