बीते दिन चर्चित फिल्म ‘कला’ के एक संवाद में अभिनेता कहता है कि दौर बदलेगा, दौर की ये पुरानी आदत है। ये काफी हद तक सही बात है। लेकिन हिंदी सिनेमा में एक ऐसी अभिनेत्री थी जिनका दौर जैसे काभी खत्म ही नाजी हुआ। ‘बेगम मुमताज जहां देहलवी’ के नाम से जन्मी मधुबाला को फिल्मी समीक्षकों ने ‘वीनस क्वीन’ कहा और प्रसिद्ध फिल्म अभिनेत्री देविका रानी ने उनका फिल्मी नाम ‘मधुबाला’ नाम दे दिया। मधुबाला चाहे 50-60 का दशक हो या 90 के बाद का दशक हो, हर दौर में लोगों के ज़ेहन में एक खास मोहब्बत, एक अनकहा लगाव रखता है। वह आज भी अमर है सिनेमा प्रेमियों के मन में। चंचल, शोख, चुलबुली अदाओं और खुबसूरती का एक अलग ही लेवल पर।
गरीबी से उबरने के लिए वह फिल्मों में आई
दिल्ली के एक पठानी परिवार में, पिता अताउल्लाह खान कोचमैन का काम करते थे। 14 फरवरी 1933 को वह 5वीं संतान के रूप में, मधुबाला पैदा हुई और परिवार बेहतर जीवन के उम्मीद में बंबई आ गया। लेकिन परिवार का जीवन बेहतर नहीं हुआ। इस वजह से नौ वर्ष के उम्र में ही मधुबाला ने नौकरी की तलाश शुरू कर दी। साल 1942 में फिल्म ‘बसंत’ में बाल अभिनेत्री के रूप में ‘बेबी मुमताज’ के नाम से उन्होंने फिल्मी कैरियर की शुरुआत की। शुरुआती फिल्मों में उन्हें कोई खास सफलता हाथ नहीं लगी।
पहली सफलता मिली बाम्बे टाकीज के बैनर तले बनी फिल्म ‘महल’ से, जिसका गाना ‘आएगा आने वाला’ लोगों के ज़ेहन में बस गया। उसके बाद फागुन, हावड़ा ब्रिज, काला पानी, चलती का नाम गाड़ी, बरसात की एक रात, हाफ टिकट, मुगले आज़म, श्रीमान और श्रीमती 55, तराना और कुल 70 फिल्मों में उन्होंने काम किया। कई को साधारण सफलता मिली और कुछ फिल्मी इतिहास में मील का पत्थर सिद्ध हुए। महान निर्देशक फ्रैंक कैपरा मधुबाला को अंतरराष्ट्रीय करियर में बढ़ावा देना चाहते थे। परंतु, दिलीप कुमार के साथ उनकी बढ़ती अंतरंगता ने परिवार को अधिक रूढ़िवादी बना दिया।
प्यार जो सिर्फ असफल अफसाना बनकर रह गया
मात्र 36 साल की जीवन जी सकी मधुबाला, नौ साल के उम्र में दिल के बीमारी से पीड़ित रही। उन्होंने कभी किसी से इसका खुलासा नहीं किया। बीमारी के खिलाफ जंग लड़ते हुए शानदार फिल्मी कैरियर का लुफ्त उठाया और शोहरत के बुलंदियों पर पहुंची। असफल अगर कुछ रहा तो उनकी मुहब्बत, जो जमाने के सामने जाहिर तो हुआ, पर सफल नहीं हो सका। दिलीप कुमार के साथ प्रेम संबंध का उनका अफसाना अधूरा रह गया। बाद में किशोर कुमार ने उनसे इस्लाम धर्म कबूल कर करीम अब्दुल के नाम से मधुबाला से निकाह किया। शादी के बाद वह इलाज के लिए लंदन गई पर उनका इलाज संभव नहीं हो सका। शादी के बाद उनकी तबीयत और ज्यादा खराब रहने लगी। उन्होंने फिर से फिल्म के तरफ रूख करने का मन बनाया पर फिल्म ‘चालाक’ के सेट पर बेहोश हो गई और फिल्म को बंद करना पड़ा। अपनी दिलकश अदाओं से लगभग दो दशकों तक सिनेमा प्रेमियों को मदहोश करने वाली महान अभिनेत्री मधुबाला ने मुम्बई में 23 फ़रवरी 1969 को इस दुनिया से अलविदा कह दिया।
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